राम नवमी में भगवान राम की मूर्ति के माथे पर पड़ेगी सूर्य की किरणें, राम मंदिर के निर्माण में हुआ इन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
Ram Mandir Technology: राम मंदिर के निर्माण काम में देश की बड़ी संस्थाएं जैसे CBRI रूड़की; CSIR- NGRI हैदराबाद; डीएसटी - IIA बेंगलुरु और सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (आईएचबीटी) पालमपुर (एचपी) ने अहम रोल निभाया है.
Ram Mandir Technology: श्री राम मंदिर निर्माण को अन्य संस्थानों जैसे आईआईटी, इसरो के कुछ इनपुट के अलावा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत CSIR (वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद) और डीएसटी (विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग) के कम से कम चार प्रमुख राष्ट्रीय संस्थानों द्वारा तकनीकी रूप से सहायता प्रदान की गई है. पीएमओ में राज्य मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने रविवार को ये बात कही है. CSIR-CBRI रूड़की ने राम मंदिर निर्माण में प्रमुख योगदान दिया है. सीएसआईआर-एनजीआरआई हैदराबाद ने नींव डिजाइन और भूकंपीय सुरक्षा पर महत्वपूर्ण इनपुट दिए हैं.
Ram Mandir Technology: राम मंदिर के निर्माण में दिया है चार इंस्टीट्यूट ने योगदान
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जिन चार संस्थानों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है, उनमें सीएसआईआर-केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) रूड़की,सीएसआईआर - राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (NGRI) हैदराबाद,डीएसटी - इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA) बेंगलुरु और सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (IHBT) पालमपुर (HP) शामिल हैं.
Ram Mandir Technology: DST-IIA बेंगलुरु ने सूर्य तिलक के लिए दी है तकनीकी सहायता, CSIR-IHBT ने खिलाए हैं ट्यूलिप
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि डीएसटी-आईआईए बेंगलुरु ने सूर्य तिलक के लिए सूर्य पथ पर तकनीकी सहायता प्रदान की है. वहीं, CSIR-IHBT पालमपुर ने 22 जनवरी को अयोध्या में दिव्य राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए ट्यूलिप खिलाए हैं.’’ CSIR-CBRI रूड़की प्रारंभिक चरण से ही राम मंदिर के निर्माण में शामिल रहा है. संस्थान ने मुख्य मंदिर के संरचनात्मक डिजाइन, सूर्य तिलक तंत्र को डिजाइन करने, मंदिर की नींव के डिजाइन की जांच और मुख्य मंदिर की संरचनात्मक देखभाल की निगरानी में योगदान दिया है.
Ram Mandir Technology: राम नवमी में मूर्ति के माथे पर पड़ेगी सूर्य की किरणें
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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि राम मंदिर की एक अनोखी विशेषता इसका सूर्य तिलक तंत्र है जिसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि हर साल श्रीराम नवमी के दिन दोपहर 12 बजे लगभग 6 मिनट के लिए सूर्य की किरणें भगवान राम की मूर्ति के माथे पर पड़ेंगी. उन्होंने कहा किराम नवमी हिंदू कैलेंडर के पहले महीने के नौवें दिन मनाई जाती है, यह आमतौर पर मार्च-अप्रैल में आती है, जो भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम के जन्मदिन का प्रतीक है.
Ram Mandir Technology: IIAF ने सूर्य पथ पर तकनीकी मदद दी, गियर बॉक्स और रिफलेक्टिव की व्यवस्था
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रो फिजिक्स बेंगलुरु ने सूर्य पथ पर तकनीकी सहायता दी है. ऑप्टिका, बेंगलुरु लेंस और पीतल ट्यूब के निर्माण में शामिल है.उन्होंने कहा, ‘‘गियर बॉक्स और रिफलेक्टिव/लेंस की व्यवस्था इस तरह की गई है कि शिकारा के पास स्थित तीसरी मंजिल से सूर्य की किरणों को सूर्य पथ पर नजर रखने के प्रसिद्ध सिद्धांतों का उपयोग करके गर्भ गृह तक लाया जाएगा.’’
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा,'इस मौसम में ट्यूलिप में फूल नहीं आते। यह केवल जम्मू-कश्मीर और कुछ अन्य ऊंचे हिमालयी क्षेत्रों में ही उगता है और वह भी केवल वसंत ऋतु में। इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी पालमपुर ने हाल ही में एक स्वदेशी तकनीकी विकसित की है, जिसके माध्यम से ट्यूलिप को उसके मौसम का इंतजार किए बिना पूरे वर्ष उपलब्ध कराया जा सकता है.'
07:35 PM IST